केंद्र सरकार ने राज्यों को 15 अक्टूबर से स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है। स्कूलों को किस तरह खोला जाए और वहां किस तरह की व्यवस्थाएं होनी चाहिए, इस पर 5 अक्टूबर को 54 पेज की गाइडलाइन जारी की है।
केंद्र ने यह भी साफ किया है कि स्कूल कब से खोलना है, यह फैसला राज्य सरकारों का होगा। वैसे, ज्यादातर राज्य सरकारों ने कलेक्टरों को यह अधिकार दिया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूल खोलने का फैसला लें।
किस राज्य में कब खुलेंगे स्कूल?
- केंद्र सरकार ने गाइडलाइंस में 15 अक्टूबर के बाद फेजवाइज स्कूल खोलने की मंजूरी दी है। लेकिन, अंतिम फैसला पूरी तरह से राज्यों का होगा। इसका मतलब है कि हर राज्य में स्कूल खोलने की अलग से तारीख जारी होगी। कुछ राज्य यह अधिकार जिलों को देने जा रहे हैं।
- दिल्ली सरकार ने तय किया है कि अक्टूबर में स्कूल नहीं खोले जाएंगे। इसी तरह, यूपी सरकार ने यह फैसला जिलों पर छोड़ा है, जहां कलेक्टर कोविड-19 की सिचुएशन देखकर फैसला लेंगे। मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों ने अब तक स्थिति साफ नहीं की है।
किन क्लासेस को सबसे पहले खोला जाएगा?
- केंद्र सरकार की नई गाइडलाइंस में कुछ साफ नहीं है। यह फैसला राज्य सरकारें ले सकती हैं। इतना जरूर कहा गया है कि अगर संभव हो तो क्लास 1 से 5 तक के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल बैग की पाबंदी ना रखी जाए।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सितंबर में क्लास 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स को स्कूलों में टीचर्स से मिलने की इजाजत दी थी। इसी तरह का प्रेफरेंस राज्य सरकारें अनलॉक 5.0 के पीरियड में दे सकती हैं और शुरुआत में बड़ी क्लासेस के लिए स्कूल खोल सकती हैं।
- अगर कोई राज्य चाहता है कि छोटे बच्चों के लिए स्कूल पहले खोले जाएं तो इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को कोई परेशानी नहीं होगी। वैसे, यह जरूर है कि यदि कोई बच्चा घर पर रहकर ऑनलाइन क्लासेस लेना चाहे तो स्कूलों को उसे इसकी इजाजत देनी होगी।
अटेंडेंस का क्या होगा? क्या स्कूल खुलने पर बच्चों के लिए स्कूल जाना जरूरी होगा?
- नहीं। केंद्रीय गृह मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि स्टूडेंट्स को क्लास अटेंड करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। अटेंडेंस की भी पाबंदी नहीं होगी। यह पूरी तरह से पैरेंट्स की सहमति पर तय होगा।
- जिन स्कूलों में ऑनलाइन एजुकेशन की व्यवस्था नहीं होगी, वहां टीचर्स को स्टूडेंट्स और पैरेंट्स से बात करनी होगी और यह निश्चित करना होगा कि बच्चों की पढ़ाई सही दिशा में आगे बढ़ रही है। इतना ही नहीं, स्कूलों को परफेक्ट अटेंडेंस अवॉर्ड देने से भी मना किया गया है।
क्या स्टूडेंट्स को परीक्षा देनी होंगी? परीक्षाओं का क्या होगा?
- शिक्षा मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक, स्कूल खोलने के कम से कम दो-तीन हफ्तों तक किसी तरह का असेसमेंट नहीं होगा। जब वे परीक्षाएं लेंगे तो सभी कक्षाओं के लिए पेन और पेपर टेक्स्ट फॉर्मेट में परीक्षा लेने से बचेंगे।
- रोल-प्ले, कोरियोग्राफी, क्लास क्विज, पहेलियों और गेम्स, ब्रोशर डिजाइनिंग, प्रेजेंटेशंस, जर्नल्स, पोर्टफोलियो के आधार पर असेसमेंट किया जाए। इनका इस्तेमाल आम तौर पर होने वाली पेन और पेपर टेक्स्ट फॉर्मेट एग्जाम के स्थान पर किया जाए।
स्कूल में बच्चों की सुरक्षा कैसे होगी?
- बच्चे स्कूल में तभी आएंगे, जब उनके पैरेंट्स लिखित मंजूरी देंगे। यदि पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई करें तो स्कूलों को इसकी मंजूरी देनी होगी। इसी तरह, बच्चा बीमार है तो पैरेंट्स इसकी जानकारी स्कूल को देंगे।
- स्कूल कैम्पस की लगातार साफ-सफाई करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, ऐसी जगहों को डिसइन्फेक्ट करने को कहा है, जहां बच्चों का आना-जाना ज्यादा होता है। बच्चों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने को लेकर सेंसिटाइज करने को कहा है।
- क्लासरूम में और स्कूल में एंट्री-एग्जिट के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए शिफ्ट में क्लास का सुझाव दिया है। जिन क्लासेस में बच्चे ज्यादा है, वहां ऑड-ईवन बेसिस पर भी स्टूडेंट्स को बुलाने की सिफारिश की है।
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