6 साल पहले गांव वालों के साथ हैंडमेड क्राफ्ट का ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया, सालाना एक करोड़ रु टर्नओवर, इनसे जुड़े 800 कारीगर भी कमा रहे हैं मुनाफा

 

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मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले सुमिरन पांड्या ने कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की है। अभी अहमदाबाद में हैंडमेड क्राफ्ट का ऑनलाइन स्टोर चलाते हैं। देश के साथ-साथ विदेशों में भी उनके प्रोडक्ट की डिमांड है। हर महीने 400-500 प्रोडक्ट के ऑर्डर आते हैं। सालाना एक करोड़ रुपए की कमाई हो रही है।

39 साल के सुमिरन ने 2004 में भोपाल से इंजीनियरिंग के बाद मुंबई में दो साल तक एक कंपनी में काम किया। इसके बाद वे अहमदाबाद आ गए। यहां नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन से उन्होंने मास्टर्स किया। फिर कुछ सालों तक सॉफ्टवेयर डिजाइन का काम किया। अलग-अलग गवर्नमेंट प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया।

सुमिरन के पिता ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर रहे, इसलिए उनका ज्यादातर समय गांवों में गुजरा। वो भी अलग-अलग गांवों में जहां उनकी पोस्टिंग रही। वो बताते हैं, 'जब मैं अहमदाबाद में मास्टर्स कर रहा था, तब एक प्रोफेसर एमपी रंजन के संपर्क में आया जो क्राफ्ट को लेकर एक किताब पर काम कर रहे थे। उनके साथ मैं भी जुड़ा था।

तस्वीर कश्मीर की है, जिसमें कारीगर हाथ से बास्केट तैयार कर रहा है।

सुमिरन कहते हैं कि अब तक हमें प्रोडक्ट और उनको तैयार करने वाले कारीगरों के बारे में आइडिया मिल गया था। कई कारीगरों से पहचान भी हो गई थी। इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। हमने कुछ कारीगरों से कॉन्टैक्ट किया और उनका प्रोडक्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। फिर सोशल मीडिया पर इसके बारे में पोस्ट शेयर किया। शुरुआत में ही हमें काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला।

वो कहते हैं कि हैंडमेड क्राफ्ट का सेक्टर बहुत ऑर्गनाइज्ड नहीं है। इसलिए हमें प्रोडक्ट के लिए अलग-अलग गांवों में जाना होता है। कुछ कारीगरों से हम नकद प्रोडक्ट खरीदते हैं तो कुछ को थोड़ा बहुत एडवांस पेमेंट करना होता है। बहुत से ऐसे भी कारीगर हैं जो बिना कोई एडवांस पेमेंट के ही प्रोडक्ट दे देते हैं। वे कहते हैं कि जब बिक जाए तो पैसे दे देना।

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