बिहार की राजधानी पटना से कुछ 70 किलोमीटर दूर पड़ता है बाढ़। इसी बाढ़ में एक गांव है नदमां। इस गांव में 1 जुलाई 1961 को अनंत सिंह का जन्म हुआ। लोग कहते हैं कि जब अनंत सिंह 9 साल के थे, तब पहली बार जेल गए थे। कुछ दिनों में छूटकर भी आ गए थे। अनंत सिंह थे तो चार भाइयों में सबसे छोटे, लेकिन जुर्म की दुनिया में उनका नाम काफी बड़ा है।
कहा तो ये भी जाता है कि अनंत सिंह की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया, जब उनका इस संसार की मोहमाया से ध्यान उचट गया और वैराग्य अपना लिया। लेकिन, यहां भी ज्यादा दिन मन नहीं लगा।
एक जमाने में अनंत सिंह को लोग ‘रॉबिनहुड’ के नाम से भी जानते थे। कहते हैं कि एक बार उन्होंने खुद का एक वीडियो बनवाया, जिसमें वो पटना की सड़कों पर एक बग्घी में सवारी करते दिख रहे थे। इस वीडियो में एक गाना भी बज रहा था, जिसके बोल थे ‘छोटे सरकार’। ये गाना किसी और ने नहीं, बल्कि उदित नारायण ने गाया था।
अनंत सिंह पिछले 13 महीने से जेल में हैं और इस बार मोकामा से जेल के अंदर से ही चुनाव लड़ेंगे। यहां के लोगों से जब हमने पूछा कि वोट किसे देंगे? तो सबका यही जवाब था- ‘कुछ भी हो जाए, वोट तो हम दादा को ही देंगे।’ यहां लोग अनंत सिंह को दादा, अनंत दा और छोटे सरकार कहकर बुलाते हैं।
भाई के जरिए राजनीति में कदम रखा
अनंत सिंह कम उम्र में ही दबंगई के सहारे अपनी पैठ बना चुके थे, लेकिन शायद उन्हें बहुत जल्द ही ये अहसास हो गया होगा कि असली जंग तभी जीती जा सकती है, जब क्राइम और पॉलिटिक्स का कॉकटेल बने। इसके लिए वो खुद राजनीति में नहीं आए, बल्कि अपने बड़े भाई को राजनीति में उतारा।
बड़े भाई दिलीप सिंह ने 1985 में पहली बार निर्दलीय के तौर पर मोकामा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। उसके बाद 1990 में पहली बार वो जनता दल के टिकट पर मोकामा से विधायक बने। 1995 में भी यहां से जीते। लेकिन, 2000 का चुनाव हार गए।
2005 के विधानसभा चुनाव से अनंत सिंह राजनीति में आए। अनंत सिंह मोकामा से लगातार चार बार जीत चुके हैं। फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 का चुनाव जदयू से जीते और 2015 में निर्दलीय जीते।
2005 के चुनावों के बाद दिसंबर 2008 में अनंत सिंह के बड़े भाई फाजो सिंह की चार लोगों ने पटना के महादेव शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बाहर सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी। इस हमले में उनके ड्राइवर अवधेश सिंह की भी मौत हो गई।
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