महागठबंधन में सीटों का बंटवारा होते-होते आखिरकार हो ही गया। पिछली बार नीतीश के पीछे खड़ी राजद इस बार ड्राइविंग सीट पर होगी। लालू यादव के छोटे लाल तेजस्वी इस बार सीएम पद का चेहरा होंगे। तेजस्वी अभी हैं तो 30 साल के, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के ठीक एक दिन पहले 9 नवंबर को 31 के हो जाएंगे
सबसे युवा डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं तेजस्वी
बात 2015 के विधानसभा चुनावों की है। भाजपा की तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने से नाराज होकर नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया था। 2015 में नीतीश की जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हो गई। चुनाव में महागठबंधन को बहुमत मिला। राजद ने 80, जदयू ने 71 और कांग्रेस ने 27 सीटें जीतीं। नीतीश कुमार सीएम बने और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम।
जिस वक्त तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी, उससे कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना 26वां जन्मदिन मनाया था। राजद की मानें तो तेजस्वी यादव अब तक भारत के सबसे युवा डिप्टी सीएम हैं। हालांकि, वे ज्यादा समय तक इस पद पर नहीं रह पाए और जुलाई 2017 में नीतीश के महागठबंधन छोड़ते ही तेजस्वी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
क्रिकेटर बनने की इच्छा थी, आईपीएल भी खेले
9 नवंबर 1989 को जन्मे तेजस्वी यादव को कभी क्रिकेटर बनने का शौक चढ़ा था। उन्होंने रणजी ट्रॉफी का एक मैच भी खेला, जिसमें सिर्फ 20 रन ही बना सके थे। साथ ही झारखंड के लिए भी दो मैच खेल चुके हैं। इन दोनों मैचों को मिलाकर उन्होंने सिर्फ 14 रन बनाए थे।
तेजस्वी 2008, 2009, 2011 और 2012 में आईपीएल की टीम दिल्ली डेयरडेविल्स का भी हिस्सा रहे हैं। हालांकि, यहां भी कुछ खास कमाल नहीं कर सके। आखिरकार क्रिकेट छोड़कर उन्हें राजनीति में ही आना पड़ा।
सबसे कम उम्र के सीएम का रिकॉर्ड इनके नाम
युवा मुख्यमंत्री की बात हो और हसन फारूख का जिक्र न हो, ऐसा नहीं हो सकता। हसन फारूख के नाम देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है, जो आज भी कायम है। फारूख महज 29 साल की उम्र में पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री बन गए थे। वे तीन बार यहां के मुख्यमंत्री बने थे। पहली बार 9 अप्रैल 1967 से 6 मार्च 1968 तक। दूसरी बार 17 मार्च 1969 से 3 जनवरी 1974 तक और तीसरी बार 16 मार्च 1985 से 4 मार्च 1990 तक।
6 सितंबर 1937 को जन्मे हसन फारूख तीन बार सांसद भी रह चुके हैं। 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी बने। 2010 में झारखंड के गवर्नर और 2011 में केरल के गवर्नर बने। 26 जनवरी 2012 को उनका निधन हो गया।