भारत में भले ही कोरोनावायरस के नए केस एक महीने से कम होते जा रहे हो, यूरोप के ज्यादातर देशों और अमेरिका में नए केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यूरोप के कई देशों ने लॉकडाउन के सख्त उपाय लागू कर दिए हैं ताकि लोगों को वायरस से बचाया जा सके। इस बीच, फाइजर (Pfizer) और उसकी पार्टनर जर्मन कंपनी बायोएनटेक (BioNTech) ने घोषणा की है कि उसकी बनाई वैक्सीन के फेज-3 ह्यूमन ट्रायल्स में शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। इस वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 90% से ज्यादा रही है।
यह एक महत्वपूर्ण खबर है, क्योंकि इस समय दुनियाभर में 11 वैक्सीन फेज-3 यानी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रही हैं। फाइजर फेज-3 के शुरुआती नतीजे घोषित करने वाली पहली बड़ी कंपनी बन गई है। यह नतीजे शुरुआती हैं। अब भी इस वैक्सीन के 100% सेफ और इफेक्टिव होने की गारंटी नहीं मिली है और यह अगले कुछ महीनों में सब तक नहीं पहुंचने वाली। बचाव के कड़े उपाय नहीं किए तो और भी लोगों की जान जा सकती है।
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वैज्ञानिकों ने अब तक क्या पता लगाया है?
- फाइजर और बायोएनटेक ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन के लिए जुलाई में लेट-स्टेज क्लिनिकल ट्रायल्स शुरू किए थे। इसमें 44 हजार लोगों को शामिल किया गया। आधे लोगों को वैक्सीन लगाई और आधे लोगों को नमकीन पानी का प्लेसेबो। इसके बाद कंपनियों ने इंतजार किया कि क्या यह वैक्सीन कोविड-19 से बचाती है। अब तक 44 हजार में से 94 को ही कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। यह बात भी सिर्फ इंडिपेंडेंट बोर्ड को ही पता है कि किन लोगों को वैक्सीन दी गई और कितने को प्लेसेबो।
- शुरुआती आकलन बताता है कि वैक्सीन 90% तक इफेक्टिव रही। क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टैंडर्ड के मुताबिक डेटा 'ब्लाइंडेड' रहा। इसका मतलब यह है कि इंडिपेंडेंट बोर्ड को छोड़कर किसी को नहीं पता कि जो लोग कोरोना के शिकार हुए, उन्हें प्लेसेबो दिया था या वैक्सीन। अब तक के डेटा को देखते हुए कहा जा सकता है कि वैक्सीन 90% इफेक्टिव है। इसके बाद भी हम यह मान सकते हैं कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई थी, उनमें बहुत कम लोग कोविड-19 पॉजिटिव हैं।
क्या इन शुरुआती नतीजों को अच्छा कहा जा सकता है?
- बेशक। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने तो कहा है कि यदि इमरजेंसी अप्रूवल चाहिए तो वैक्सीन बनाने वालों को वैक्सीन की कम से कम 50% इफेक्टिवनेस दिखानी होगी। यदि फाइजर और बायोएनटेक के शुरुआती नतीजे ही अंतिम रूप लेते हैं तो यह FDA की ओर से सेट की गई मिनिमम लिमिट से बेहतर रहेगा।
- यह नतीजे कितने अच्छे हैं, यह समझने के लिए अन्य वैक्सीन की इफेक्टिवनेस देखनी होगी। आम इनफ्लूएंजा वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 40% से 60% होती है। इसकी एक वजह यह है कि हर साल इनफ्लूएंजा वायरस नए रूप में सामने आता है। वहीं, मीजल्स के दो वैक्सीन 97% तक इफेक्टिव हैं।
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क्या फाइजर का वैक्सीन सेफ है?
- फाइजर और बायोएनटेक ने अब तक अपनी वैक्सीन की सेफ्टी को लेकर कोई चिंता नहीं जताई है। लार्ज-स्केल स्टडी से पहले कंपनियों ने मई में छोटे स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल किए थे। इसमें उन्होंने वैक्सीन के चार वर्जन आजमाए और जिसके बुखार या थकान जैसे साइड इफेक्ट सबसे कम या मध्यम स्तर के थे, उसे चुना गया। अगर इस वैक्सीन को FDA से इमरजेंसी अप्रूवल मिला तो लाखों लोग इसका फायदा उठा सकेंगे। आगे की निगरानी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) और FDA मिलकर करेंगे। ट्रायल में शामिल लोगों की दो साल तक निगरानी होगी।
फाइजर का वैक्सीन मार्केट में कब आएगी?
- फाइजर ने कहा है कि नवंबर के तीसरे हफ्ते में इमरजेंसी अप्रूवल के लिए वह FDA के पास जाएगी। तब तक उसके पास दो महीने का सेफ्टी डेटा उपलब्ध होगा। इसके बाद एजेंसी विशेषज्ञों की एक्सटर्नल एडवायजरी कमेटी से परामर्श लेगी। वैक्सीन के सेफ्टी, इफेक्टिवनेस के विस्तृत डेटा की स्टडी में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। यह भी देखा जाएगा कि कंपनियां सुरक्षित तरीके से लाखों डोज बना सकती हैं या नहीं।
- इस वैक्सीन को हाई-रिस्क आबादी के लिए इस साल के अंत तक अप्रूवल दिया जा सकता है। यह तभी होगा जब सबकुछ प्लानिंग के हिसाब से चलें और कोई अनपेक्षित घटना न घटे। फाइजर और बायोएनटेक का कहना है कि वे 1.3 अरब डोज हर साल बना सकते हैं। लेकिन, यह दुनियाभर की जरूरत से कम है।
कब तक ट्रायल चलता रहेगा?
- ट्रायल में शामिल 94 प्रतिभागी कोविड-19 पॉजिटिव निकले है। जब तक 164 केस सामने नहीं आते, तब तक स्टडी जारी रहेगी। उसके बाद नतीजों का एनालिसिस होगा। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह वैक्सीन इफेक्टिव है, लेकिन यह नहीं बताते कि कितनी इफेक्टिव। जब लाखों लोगों को कोई वैक्सीन लगा दी जाए, तभी पता चलता है कि उसकी इफेक्टिवनेस क्या है।
क्या यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए काम की है?
- नए नतीजे इसके बारे में कुछ नहीं बताते। फाइजर और बायोएनटेक के ट्रायल में 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के साथ ही 12 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया है। शुरुआती स्टडी बताती है कि बुजुर्गों में कोरोनावायरस वैक्सीन से कमजोर इम्युन रेस्पॉन्स मिला है। हालांकि, ओवरऑल नतीजों से लगता है कि वैक्सीन से मजबूत सपोर्ट मिलता है।
फाइजर की शुरुआती सफलता का अन्य कंपनियों के वैक्सीन के लिए क्या मतलब है?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 वैक्सीन लैंडस्केप के मुताबिक इस समय दुनियाभर 212 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें भी 48 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं और इसमें 11 वैक्सीन अंतिम स्टेज में यानी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रहे हैं।
- एक अन्य अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन भी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रही है। इसके अलावा रूस की एक और चीन की चार वैक्सीन अपने-अपने देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्रूव की जा चुके हैं। इनके अभी लार्ज-स्केल ट्रायल्स पूरे नहीं हुए हैं।
भारत में वैक्सीन के ट्रायल्स की क्या स्थिति है?
- भारत में इस समय भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। इसके शुरुआती नतीजे दिसंबर-जनवरी में आने के संकेत मिल रहे हैं। यदि सबकुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो अगले साल की शुरुआत तक यह वैक्सीन अप्रूव हो जाएंगे। जायडस कैडिला के बनाए वैक्सीन को लेकर भी अब तक अच्छे शुरुआती नतीजे आए हैं। इसके भी फेज-3 ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं।
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