मध्यप्रदेश के राजगढ़ के रहने वाले विपिन दांगी एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई के दौरान वे इंदौर के एक अस्पताल में पार्ट टाइम काम करते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फुल टाइम जॉब जॉइन कर लिया। सैलरी ठीक-ठाक थी, लेकिन काम में मन नहीं लगा। विपिन 2018 में नौकरी छोड़कर गांव लौट आए।
गांव में उन्होंने दूध का कारोबार शुरू किया। हालांकि इस काम में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने पशु आहार बनाकर बेचना शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और चंद दिनों में ही मुनाफा होने लगा। आज विपन हर महीने 5 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार करते हैं।
26 साल के विपिन ने इंदौर से माइक्रोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने बताया- दूध के कारोबार में लागत के हिसाब से मुनाफा नहीं हो रहा था। मुझे 2 लाख से ज्यादा का नुकसान भी उठाना पड़ा। इसके बाद 6 महीने तक मैं इंटरनेट पर अलग-अलग काम के बारे में जानकारी हासिल करता रहा। इसी दौरान मेरे दिमाग में यह बात आई कि गांवों में किसानों के पास पशु तो हैं, लेकिन उनके लिए वे पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। आस-पास कोई कंपनी भी नहीं है, जो पशु आहार तैयार करती हो। मैंने सोचा कि क्यों न इसी सेक्टर में हाथ आजमाया जाए। मैंने सितंबर 2019 में पशु आहार तैयार करने का काम शुरू किया।
विपिन बताते हैं कि आहार तैयार करने के बाद उसे किसानों तक पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाई। कुछ पर्चे छपवाए, फिर एक गाड़ी पर स्पीकर लगाकर प्रचार करना शुरू किया। यह तरीका सफल रहा। धीरे-धीरे उनके ग्राहक बढ़ने लगे। राजगढ़ के आसपास के कई गांवों में अब उनके 3 हजार से ज्यादा रेगुलर कस्टमर हैं।
आज विपिन हर दिन 2 से 3 टन पशु आहार तैयार करते हैं। एक टन पशु आहार को बनाने में करीब 17 हजार रुपए खर्च होते हैं, जिसे हम 18 हजार रुपए की दर पर बेचते हैं। उनके साथ 4 और लोग भी काम करते हैं।
विपिन जल्द ही छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के दूसरे जिलों में कारोबार बढ़ाएंगे। उन्होंने इसके लिए स्टाफ भी रख लिया है, जो प्रचार गाड़ी से लोगों को प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देते हैं। हर हफ्ते वे किसानों और पशु पालकों के लिए ट्रेनिंग कैंप भी लगाते हैं। उसमें खेती-किसानी से लेकर पशुओं के रखरखाव और उन्हें स्वस्थ रखने के टिप्स देते हैं। वो अपने पशु आहार की खूबियों के बारे में भी उन्हें समझाते हैं।
विपिन कहते हैं कि पशु आहार तैयार करने के लिए रॉ मटीरियल सबसे जरूरी है। इसके लिए पहली प्राथमिकता वे किसानों को देते हैं। पशु आहार बनाने के लिए अनाज गांव के किसानों से खरीदते हैं। जबकि, खली वे स्थानीय तेल फैक्ट्रियों से खरीदते हैं।
कैसे तैयार करते हैं पशु आहार
विपिन कहते हैं कि पशु आहार बनाने के लिए कपास, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों की खली, मक्का, जौ, गेहूं जैसे अनाजों के साथ-साथ दाल के छिलकों की जरूरत पड़ती है। क्योंकि इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है। सबको एक निश्चित अनुपात में मिलाने के बाद, इसमें कैल्सियम, फॉस्फोरस, आयोडीन, कॉपर, कोबाल्ट जैसे मिनरल्स ऐड किए जाते हैं। फिर इसे ग्राइंडर में पिसा जाता है। पूरी प्रोसेसिंग के बाद पैकिंग की जाती है।
पशुओं के लिए क्यों खास है यह आहार
विपिन बताते हैं कि आमतौर पर किसान घास-भूसा ही अपने पशुओं को खिला पाते हैं। ऐसे में उन्हें जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसकी वजह से उनकी हेल्थ को नुकसान तो होता ही है, साथ ही दूध भी ज्यादा नहीं निकलता है। यह आहार कंप्लीट फूड है। इसमें सभी जरूरी एलिमेंट्स हैं, जो एक स्वस्थ पशु को मिलना चाहिए। इसे सुबह-शाम पशुओं को खिलाना चाहिए। इससे हेल्थ बेनीफिट के साथ दूध में भी बढ़ोतरी होती है।
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