कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 9वां दिन है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं और उनके खेतों को संभाल रही हैं घर की औरतें। पत्नी, बहनों, मांओं ने गांव में वो जिम्मेदारी संभाल रखी है, जो पुरुष संभाल रहे थे। न घर सूना है और ना खेत। पटियाला के अगेता गांव की इन फोटोज में देखिए कि किस तरह से महिलाओं ने गांवों में संभाला मोर्चा...
गांव के ही भारतीय किसान यूनियन के नेता हरविंदर सिंह साथियों के साथ बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। उनके साथ ही गांव के 10 परिवारों से किसान आंदोलन में गए हैं। पर मर्दों की गैरमौजूदगी में कुछ भी थमा नहीं है। मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम हो या फिर खेती-किसानी का जिम्मा, महिलाओं ने सब संभाल रखा है।
सिंदर कौर, महिंदर कौर, परमजीत कौर, शरणजीत कौर, तेज कौर, जसविंदर कौर और मुख्तियार कौर के अलावा दूसरी महिलाएं सुबह के चार बजे से ही फसल की सिंचाई करतीं, खाद डालती नजर आती हैं। सिंदर कौर और महिंदर कौर कहती हैं कि परिवार के लोग हक की लड़ाई लड़ रहे हैं तो हम भी इस संघर्ष में पीछे क्यों रहें। खेतीबाड़ी का जिम्मा संभाल लिया है।
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