क्यों बढ़ रहा है थ्री-सिलेंडर इंजन का चलन, क्या है इसके फायदे और नुकसान, समझिए पूरा कॉन्सेप्ट https://ift.tt/3qui9Hy

अगर आप कार लवर है, तो एक सवाल जरूर मन में आया होगा कि आजकल थ्री सिलेंडर इंजन का चलन इतना क्यों बढ़ रहा है। पहले जहां अल्टो और हुंडई ईऑन एंट्री लेवल कारों में 3-सिलेंडर इंजन आता था, जो छोटा होने के साथ ही बेहतर माइलेज प्रदान कराता है।

वहीं वर्तमान में थ्री-सिलेंडर इंजन अब हर सेगमेंट की कारों में देखने को मिल जाते हैं, फिर चाहे वो एंट्री लेवल कार हो या बीएमडब्ल्यू हो, सभी के पास आज की तारीख में 3-सिलेंडर इंजन उपलब्ध हैं। लेकिन ऐसा क्यूं हो रहा है, चलिए समझते हैं...

सभी इंजन फोर-स्ट्रोक प्रिसिंपल पर काम करते हैं

इंजन में सिलेंडर्स होते हैं और हर एक सिलेंडर में चार स्ट्रोक प्रोसेस होती हैं।

सबसे पहले बात कर मोटे-मोटे तौर पर समझते है कि इंजन कैसे काम करता है। तो इंजन फोर-स्ट्रोक प्रिंसिपल पर काम करता है। इंजन में सिलेंडर्स होते हैं और हर एक सिलेंडर में चार स्ट्रोक प्रोसेस होती हैं। पिस्टन के ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर जाने को स्ट्रोक कहा जाता है।

  • पहले स्ट्रोक में सिलेंडर के अंदर एयर और फ्यूल का मिक्चर आएगा।
  • दूसरे स्ट्रोक में उसे कम्प्रेस किया जाएगा।
  • तीसरे स्ट्रोक में कम्प्रेस्ड एयर में स्पार्क प्लग की मदद से आग लगाई जाती है (इसे पावर स्ट्रोक भी बोलते हैं)।
  • चौथे स्ट्रोक में जो आग लगने की वजह से जो पावर जनरेट हो उससे पिस्टन नीचे जाएगा और क्रैंक शाफ्ट घुमाएगा और यही ताकत गाड़ी को चलाने के काम आती है।

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यानी इंजन में चाहे कितने भी सिलेंडर हों, फोर-स्ट्रोक प्रोसेस सभी में होगी

  • कहने का मतलब यह है कि कोई भी इंजन हो चाहे वो 3-सिलेंडर हो, 4-सिलेंडर हो या 6/8/12 सिलेंडर हो, किसी भी कॉन्फिग्रेशन का हो, हर एक सिलेंडर में ये चार-स्ट्रोक प्रोसेस होती है। यानी सभी में फायरिंग होगी। (नोट- फायरिंग यानी तीसरे स्ट्रोक में स्पार्क प्लग, एयर और फ्यूल के मिक्चर में जो आग लगा रहा है, उस आग लगाने की प्रोसेस को फायरिंग कहते हैं। यह प्रोसेस लगातार चलती रहती है, ताकि लगातार पावर मिलती रहे।)
  • अब हर सिलेंडर में तो एक साथ फायरिंग करवा नहीं सकते नहीं तो इंजन को नुकसान पहुंचेगा। हर एक सिलेंडर में फायरिंग के लिए अलग टाइम सेट करना होता है। उदाहरण के तौर पर अगर फोर-सिलेंडर इंजन की बात करें तो किस सिलेंडर में कब फायरिंग होनी है, इसके लिए एक फायरिंग इंटरवल देना होता है।

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फायरिंग इंटरवल का फॉर्मूला है, 720/Cylinders
1. फोर-सिलेंडर इंजन के लिए 720/4, यानी 180 डिग्री

इसका मतलब यह है कि, जब क्रैंक शॉफ्ट 180 डिग्री घूमेगी, तो एक सिलेंडर में फायरिंग हो जानी चाहिए, और हर 180 डिग्री के बाद अलग-अलग सिलेंडर में फायरिंग हो चाहिए। तो मोटे तौर पर समझे तो इस तरह से फायरिंग इंटरवल निकाला जाता है।
2. थ्री-सिलेंडर इंजन के लिए, 720/3, यानी 240 डिग्री
जब क्रैंक शॉफ्ट 240 डिग्री घूमेगी, तो किसी सिलेंडर में फायरिंग होगी। वापस से 240 डिग्री घूमने पर किसी दूसरे सिलेंडर में फायरिंग होगी। अलग-अलग कंपनियां अपने हिसाब से तय करती है कि किस सिलेंडर में पहले फायरिंग होगी और इसका क्रम क्या होगा। 3-सिलेंडर इंजन के लिए कुछ कंपनियां 1,2,3 तो कुछ 1,3,2 का रूल फॉलो करती हैं।

अब बात कर लेते हैं इसके फायदे और नुकसान की...

3-सिलेंडर इंजन में क्रैंक शॉफ्ट के 240 डिग्री घूमने पर फायरिंग होती है।

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थ्री-सिलेंडर इंजन: नुकसान

  • पावर कम मिलेगी: अब 3-सिलेंडर इंजन है, तो जाहिर से बात है कि सिलेंडर कम है, तो पावर भी कम होगा। क्योंकि जितने ज्यादा सिलेंडर होंगे उतनी ज्यादा पावर प्रोड्यूस होगी। यानी 3-सिलेंडर इंजन में पावर कम मिलेगी। पावर बढ़ाने के लिए कुछ कंपनियां टर्बो चार्जर का इस्तेमाल करते हैं।
  • फायरिंग इंटरवल में देरी: जैसा की हम बता चुके हैं कि 4-सिलेंडर इंजन में क्रैंक शॉफ्ट के हर 180 डिग्री घूमने पर फायरिंग होगी। वहीं 3-सिलेंडर इंजन में क्रैंक शॉफ्ट के 240 डिग्री घूमने पर फायरिंग होती है। इसका मतलब यह है पावर डिलीवरी में देरी होगी।
  • बैलेंसिंग में कमी: जितनी ज्यादा सिलेंडर होते है, उसे क्रैंक शॉफ्ट से बैलेंस करना उतना ही आसान हो जाता है। 3-सिलेंडर इंजन में क्रैंक शॉफ्ट पर 3 सिलेंडर जुड़े होते हैं, तो इसमें बैलेंसिंग की थोड़ी शिकायत मिल सकती है। बैलेंसिंग की वजह से इंजन में वाइब्रेशन मिल सकते हैं।

थ्री-सिलेंडर इंजन: फायदे

  • ज्यादा माइलेज: जितने कम सिलेंडर होंगे, इंजन का उतना ही कम वजन होगा, जिससे एक ब्रांड को ओवरऑल वेट सेविंग करने में काफी मदद मिलती है। इससे माइलेज बढ़ जाता है।
  • ज्यादा पावर: सिलेंडर इंजन दूसरा सबसे बड़ा फायदा, जिसकी वजह से मंहगी कारों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, वो यह है कि टर्बो-चार्ज तकनीक से छोटे इंजन की परफॉर्मेंस भी बढ़ाई जा सकती है। यानी इंजन भी छोटा, माइलेज भी ज्यादा और परफॉर्मेंस भी ज्यादा। इसलिए कार निर्माता इस समय टर्बो-चार्ज्ड इंजन की तरफ जा रहे हैं।


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Why Trend of 3-Cylinder Engine Is Increasing, What Are its Advantages and Disadvantages


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