देश की जीडीपी हो या आम आदमी का एंटरटेनमेंट, 2020 में हर सेक्टर पर कोरोना का गहरा असर पड़ा। सिनेमाघर महीनों बंद रहे। टूरिज्म इंडस्ट्री ठप पड़ गई। ऑटो से एविएशन तक, हर जगह कोरोना का असर साफ दिखा। लेकिन, इस मुश्किल साल में भी हमने कुछ नए रास्ते निकाले। कुछ कदम ऐसे उठाए जो नई उम्मीद और भरोसा जगाते हैं।
आइए जानते हैं एंटरटेनमेंट, ऑटो, हेल्थ, एजुकेशन, इकोनॉमी, टूरिज्म और स्पोर्ट्स स सेक्टर के लिए बीता साल कैसा रहा और इन सेक्टर्स में आने वाले साल से क्या उम्मीदें हैं...
1. एंटरटेनमेंट : सिनेमाघर खुलें न खुलें, हमने तो OTT पर बंदोबस्त कर लिया
- इस साल बॉक्स ऑफिस ने कमाए सिर्फ 826 करोड़ रुपए। पिछले साल 5,000 करोड़ से ज्यादा कमाए थे यानी 84% कम हो गया। ओवर-द-टॉप यानी OTT का रेवेन्यू 21,800 करोड़ रुपए हो सकता है। OTT का रेवेन्यू इस साल 26% बढ़ने का अनुमान है।
- OTT के सब्सक्राइबर 47% बढ़े। ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान OTT पर 65% कंटेंट गांवों में देखा गया।
- OTT पर बड़े बजट की फिल्मों की सिर्फ लागत निकली तो छोटी फिल्मों को मुनाफा भी हुआ।
- अक्षय कुमार की 'लक्ष्मी' के डिजिटल राइट्स 125 करोड़ में बिके, जबकि अक्षय की फीस ही करीब 100 करोड़ (साइनिंग अमाउंट+प्रॉफिट शेयरिंग) थी। फिर दूसरे आर्टिस्ट्स और फिल्म की टीम की फीस।
- 25 करोड़ में बनी 'लूडो' ने 35 करोड़ में राइट्स बेचे। इसी तरह विद्या बालन की 'शकुंतला देवी' का बजट भी 25 से 30 करोड़ के आसपास था और इसके डिजिटल राइट्स बिके 40 करोड़ में।
आगे क्याः 2022 तक OTT का रेवेन्यू 33,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। फिल्म इंडस्ट्री के हालात मार्च 2021 से पहले सुधरने की ज्यादा उम्मीद नहीं है।
2. इकोनॉमी : गिरे, लेकिन तेजी से संभलेंगे
- 4 साल से GDP गिर ही रही थी। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 की पहली तिमाही में GDP में 18% की गिरावट का अनुमान था, लेकिन असल में गिरावट आई 23.9% की।
- पहली तिमाही में एग्रीकल्चर ही एकमात्र सेक्टर था, जिसमें 3.4% की बढ़त रही थी। बाकी सभी सेक्टर में गिरावट थी। मैनुफैक्चरिंग सेक्टर 39.3% गिर गया था।
- दूसरी तिमाही में GDP में 12% तक की गिरावट का अनुमान था, लेकिन गिरावट आई 7.5% का। इस बार एग्रीकल्चर में 3.4% और मैनुफैक्चरिंग में 0.6% की बढ़त आई थी।
आगे क्याः SBI के अनुसार पूरे 2020-21 के दौरान देश की GDP में 7.4% की गिरावट आ सकती है। पहले यह अनुमान 10.9% का था। हालात सुधरने लगे हैं, लेकिन IMF का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना काल से पहले जैसी स्थिति में पहुंचने में 2 से 3 साल लग सकते हैं।
3. ऑटो सेक्टर : महंगी नहीं तो सस्ती ही सही, लेकिन गाड़ी जरूर खरीदेंगे
- 15 महीने की मंदी पहले से ही थी। फिर लॉकडाउन हो गया। पार्लियामेंट्री पैनल की रिपोर्ट बताती है कि लॉकडाउन में ऑटो इंडस्ट्री को रोजाना करीब 2,300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
- सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक, जनवरी से जुलाई तक देश में टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर की बिक्री बेहद कम हुई, लेकिन अगस्त के बाद से इसमें तेजी आने लगी।
- इस साल अगस्त से नवंबर तक 70.61 लाख टू-व्हीलर और 10.61 लाख फोर-व्हीलर बिके। 2019 में इसी दौरान 63.37 लाख टू-व्हीलर और 9.28 लाख फोर-व्हीलर बिके थे। यानी इन 4 महीनों में 11% टू-व्हीलर और 14% फोर-व्हीलर ज्यादा बिके।
आगे क्या : अमेरिका की कंसल्टेंसी अर्बन साइंस के मुताबिक, देश में अब 10 लाख से कम कीमत की गाड़ियों की डिमांड रहेगी। 20 लाख से ऊपर की गाड़ियों की डिमांड कम होगी। हालात 2021 की तीसरी तिमाही के बाद ही सुधरने की उम्मीद है।
4. टूरिज्म : इस बार तो कम टूरिस्ट आए, 2 साल में सब ठीक हो जाएगा
- देश में हर साल एक करोड़ से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते थे, लेकिन इस बार सिर्फ 24.62 लाख ही पहुंचे।
- इस साल विदेशी पर्यटकों से 44,203 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जबकि, पिछली बार 2.11 लाख करोड़ रुपए कमाए थे।
- कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अनुसार 2020-21 में टूरिज्म इंडस्ट्री को 72 हजार करोड़ से लेकर 1.58 लाख करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है।
आगे क्या : इंस्टीट्यू़ट ऑफ रिस्क मैनेजमेंट का अनुमान है कि टूरिज्म इंडस्ट्री को 2019 के लेवल पर पहुंचने में 2022 तक का समय लग सकता है।
5. एविएशन : एयरलाइन कंपनियों को घाटा तो हुआ, 4 साल में भरने लगेगा उड़ान
- देश में हर साल तकरीबन 14 करोड़ डोमेस्टिक और 6 करोड़ इंटरनेशनल पैसेंजर्स हवाई यात्रा करते हैं।
- एक्सपर्ट हर्षवर्धन का कहना है कि एविएशन के इतिहास में पहली बार पायलट्स की नौकरियां गईं।
- क्रिसिल के मुताबिक, 2020 से 2022 के बीच इंडियन एयरलाइंस कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है।
- लोकसभा में सरकार ने बताया था कि अप्रैल से जून 2020 तक देश की एयरलाइन कंपनियों को 21,866 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
आगे क्या : इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA), एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (ACI) और इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) का अनुमान है कि दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को 2019 के लेवल पर पहुंचने में 3 से 4 साल का वक्त लग सकता है।
6. एजुकेशन : ऑनलाइन पढ़ेगा इंडिया, तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया
- चीन के बाद भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्कूल नेटवर्क है। कोरोना के कारण 15 लाख से ज्यादा स्कूल बंद हो गए। 32 करोड़ से ज्यादा बच्चों पर असर पड़ा।
- सरकार और UGC ने मिलकर स्वयं ऑनलाइन कोर्सेस, e-PG पाठशाला, स्वयंप्रभा, यूट्यूब चैनल, शोधगंगा, e-शोध सिंधु, विद्वान, दीक्षा, e-पाठशाला जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किए।
- कुछ दिक्कतें भी हुईं, क्योंकि 27% बच्चों के पास न स्मार्टफोन था और न लैपटॉप। वहीं 33% बच्चे ऑनलाइन क्लास के दौरान पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाए। मैथ्स और साइंस को समझने में दिक्कत हुई।
- नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन एजुकेशन पर Online and Digital Education: Ensuring Equitable Use of Technology नाम से नया चैप्टर जोड़ा गया।
आगे क्या : inc42 के मुताबिक, अगले 5 साल में देश में एजुकेशन टेक्नोलॉजी का मार्केट 3.7 गुना बढ़ सकता है। 2020 में एजुकेशन टेक्नोलॉजी का मार्केट 2.8 अरब डॉलर था, जो 2025 तक 10.4 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
7. हेल्थ : इम्यूनिटी के लिए अदरक का इस्तेमाल 21.6% बढ़ा
- सर्वे एजेंसी aipalette के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल के बीच 31% लोगों ने हेल्दी खाने को पसंद किया, जबकि 30% लोगों ने टेस्ट को अहमियत दी।
- 2020 में लोगों के खाने में सब्जियां 27.5% और फल 13.4% बढ़ गए। जोर इम्यूनिटी बढ़ाने पर था इसलिए अदरक का इस्तेमाल 21.6% और अश्वगंधा का इस्तेमाल 31.7% बढ़ा।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के एक्सपर्ट डॉ. हरीश भाकुनी बताते हैं कि कोरोना काल में लोगों ने गर्म और ताजा खाना खाया। ठंडा पानी पीना बंद किया। इसका असर गले से लेकर पेट तक हुआ। उनका खाना आसानी से पचा और सर्दी-खांसी-जुकाम का खतरा भी कम हुआ।
- लॉकडाउन में लोगों को जंक फूड नहीं मिला। संक्रमण से बचने के लिए भी लोग इससे दूरी बनाए रहे। नॉनवेज भी कम खाया।
- वियरेबल प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी GOQii के अनुसार लॉकडाउन के दौरान 70% लोगों ने घर का खाना ही खाया, जबकि 19% लोगों ने महीने में एक बार बाहर का खाना लिया।
आगे क्या : अब लोग बाहर होटल-रेस्टोरेंट पर खाने की बजाय घर पर ही खाना ऑर्डर करेंगे। इसके साथ ही अब हाइजीन वाले खाने को तरजीह देंगे।
8. स्पोर्ट्स : नियम भी बदले और दर्शकों की जगह रोबोट बैठे
- सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सभी खेलों में खिलाड़ियों पर मिलकर जश्न मनाने पर रोक लग गई। क्रिकेट में बॉल चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल को बैन कर दिया। इस बार IPL तो हुआ, लेकिन बिना दर्शकों के। मैच के दौरान चौके-छक्के लगने पर रिकॉर्डेड शोर का इस्तेमाल किया गया।
- जर्मनी में 16 मई को फुटबॉल की बुंदेसलीगा हुई, जिसमें गोल करने के बाद खिलाड़ियों ने गले मिलकर जश्न मनाने की बजाय कोहनी मिलाई। डेनमार्क की दानिश सुपर लीग के दौरान स्टेडियम में टीवी स्क्रीन लगाई गईं। इन पर ऐप के जरिए लाइव मैच देख रहे फैन्स को दिखाया गया।
- ताइवान में भी चाइनीज लीग के दौरान फैंस के कटआउट और डमी लगाई गईं। दर्शकों की जगह रोबोट बैठाए गए। चीयरलीडर्स ने भी रोबोट के सामने परफॉर्म किया। टोक्यो ओलंपिक्स 2021 तक टाल दिया गया।
आगे क्या : IPL में शुरू हुआ बायो-बबल का ट्रेंड 2021 में बना रह सकता है। बायो बबल यानी खिलाड़ियों को होटल से बाहर आने-जाने की इजाजत नहीं होती है। हालांकि, कुछ देशों में दर्शकों को स्टैंड्स में मौजूद रहने की मंजूरी दी जा चुकी है। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज में दर्शक मौजूद हैं।
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