कोरोना काल में देशभर की अदालतों में केसों की वर्चुअल सुनवाई के साथ-साथ अदालतों के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में बदलने का काम भी चल रहा था। इसके तहत देश के 13 हाई कोर्ट पूरी तरह डिजिटल हो चुके हैं। हालांकि देश के 12 हाई कोर्ट और जिला अदालतों में अभी काम शुरू नहीं हुआ है। इस दौरान, देश की विभिन्न अदालतों से संबंधित करीब 100 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटल किया गया।
सूत्रों के अनुसार कोरोनाकाल में कानून मंत्रालय ने सभी अदालतों को अपने न्यायिक रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट में बदलने के लिए कहा था। मंत्रालय ने कहा था कि सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग कर उन्हें डिजिटल फॉरमेट में बदला जाए। ताकि अदालती रिकॉर्ड के रखरखाव में आसानी हो। साथ ही, इससे अदालतों को भविष्य में वर्चुअल मोड में अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
कानून मंत्रालय ने वर्ष 2021 के अंत तक देश की सभी अदालतों के रिकॉर्ड को डिजिटल करने का लक्ष्य रखा है। देशभर की अदालतों को वर्चुअल मोड में करने के लिए कानून मंत्रालय एक योजना पर काम भी कर रहा है। इसके लिए दुनिया के 5 देशों के हाइटेक सिस्टम का अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही, वकीलों को आधुनिक तकनीक सिखाने के लिए लॉ कोर्स में कम्प्यूटर शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
जिला अदालतों के डिजिटाइजेशन में दिल्ली सबसे आगे
देशभर की जिला अदालतों के रिकाॅर्ड को डिजिटल करने के मामले में देश की राजधानी दिल्ली सबसे आगे है। यहां की हर जिला अदालत का रिकॉर्ड डिजिटल किया जा चुका है। यहां की जिला अदालतों में कोरोना काल में 43,278 निपटाए गए केसों के साथ ही 4633 लंबित केसों से संबधित सभी दस्तावेजों को डिजिटल किया गया है। इसके अलावा देश के किसी भी राज्य की जिला अदालत में इस दिशा में अभी काम शुरू नहीं हुआ है।
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