रक्षा मंत्रालय का सैन्य विभाग सैन्य तैयारियों की लंबे समय की रूपरेखा तैयार कर रहा है। इसके तहत पांच साल का रक्षा आधुनिकीकरण प्लान तैयार किया जा रहा है। तीनों सेनाओं के संयुक्त आधुनिकीकरण के रोडमैप के आधार पर ही इस बार का रक्षा बजट होगा। इतना ही नहीं, तीनों सेनाओं की क्षमता को बढ़ाने वाले इंटीग्रेटेड कैपेबिलिटी डेवलपमेंट प्लान के तहत दो साल का वार्षिक रोल ऑन प्लान भी बनाया जा रहा है। साथ ही, वित्त मंत्रालय से ऐसा रक्षा आधुनिकीकरण फंड बनाने के लिए बातचीत चल रही है जो लैप्स न हो।
दो मोर्चों पर जंग की आशंका, इसलिए बजट बढ़ सकता है
इस बात के संकेत मिले हैं कि रक्षा क्षेत्र में होने वाले खर्चों के लिए न सिर्फ एक साल के लिए बजट की व्यवस्था होगी, बल्कि बजट में अगले पांच साल के अनुमान के हिसाब से भी व्यवस्था होगी। रक्षा सूत्रों के अनुसार सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए बजट में अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि हो सकती है। इस बार यह छह लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। 2020-21 के रक्षा बजट में 4 लाख 71 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन इसमें एक लाख 33 हजार करोड़ तो सिर्फ पेंशन के लिए ही था। लिहाजा रक्षा खर्च के लिए 3 लाख 23 हजार करोड़ ही बचे थे।
चीन का रक्षा बजट भारत से 5 गुना
चीन के मुकाबले भारत का रक्षा बजट कहीं नहीं ठहरता। भारत के करीब 45 अरब डॉलर के रक्षा बजट की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। चीन का रक्षा बजट 167 अरब डाॅलर है। सेनाओं के इन-हाउस रिसोर्स के लिए रक्षा रेनेवल फंड बनाया जाएगा जिसमें रक्षा क्षेत्र की जमीन के मॉनेटाइजेशन से फंड जुटाए जाएंगे। सैनिकों के 80 हजार मकान बनाने के लिए सेल्फ फाइनेंसिंग की तर्ज पर नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन काॅर्पोरेशन लिमिटेड के जरिए 8 साल में 40 हजार करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय अपने पेंशन बजट को कम करने पर भी लगातार काम कर रहा है जो 1 लाख 17 हजार करोड़ से बढ़कर 1 लाख 33 हजार करोड़ पहुंच गया है। सैनिकों की रिटायमेंट की उम्र बढ़ाने की दिशा में पहल हो चुकी है।
अधिक रक्षा बजट की प्रमुख वजहें
- तीनों सेनाओं की जॉइंटनेस का काम तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इसके लिए तीन नई कमान डिफेंस स्पेस, डिफेंस साइबर एजेंसी और सैन्य बल विशेष ऑपरेशंस डिवीजन बनाई जानी है।
- तीनों सेनाओं को शामिल करते हुए एयर डिफेंस कमान और समुद्री कमान का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है।