पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने अपने शो 'Prime Time With Ravish Kumar' के ताजा एपिसोड (20 जुलाई, 2021) में पेगासस जासूसी कांड पर केंद्र सरकार की चुप्पी और इसके पीछे विदेशी हाथ होने के तर्क की आलोचना की है और कहा है कि सरकार का भारत को निशाना बनाने का तर्क बचकाना है. उन्होंने कहा कि इस जासूसी कांड की जांच से इनकार के कारण और भी सवाल उठने लगे हैं कि भारत सरकार यह क्यों नहीं बताती है कि उसने सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा?
उन्होंने कहा, "तब सवाल आएगा कि फिर देश में कौन जासूसी करा रहा है. भारत सरकार हां या ना बोलकर दोनों में फंस सकती है. इसलिए दुनिया के 80 पत्रकारों के द्वारा तैयार रिपोर्ट को खंडन के नाम पर मजाक उड़ाकर खारिज कर देना ही आसान तरीका सरकार को लगा है." उन्होंने पूछा कि क्यों सरकार इस रिपोर्ट में उठाए गए सवालों के जवाब नहीं जानना चाहती है?
रवीश ने ब्रिटेन के मशहूर 'द गार्डियन' अखबार के मुख्य पृष्ठ पर छपी खबर की चर्चा करते हुए कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा पेगासस जासूसी कांड के संदर्भ में दुनियाभर के अखबारों में होने लगी है, जो चिंता की बात है क्योंकि सात सालों में अलग-अलग देशों के स्टेडियम और ऑडिटोरियम बुक करवा कर पीएम मोदी की छवि ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करने की कोशिश की गई थी, जबकि उन कार्यक्रमों में वहां रहने वाले भारतीय मूल के ही लोग आए, उन देशों के मूल निवासी न के बराबर आए.
रवीश कुमार ने कहा कि इस मामले में सरकार को कायदे से पारदर्शी जांच करानी चाहिए, ताकि विदेशी मीडिया में छपी खबरों को तथ्यात्मक तरीके से गलत साबित किया जा सके और 17 मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट को चुनौती दी जा सके.
उन्होंने पूछा है कि क्या अमेरिका, पेरिस, लंदन में बैठे भारतीय राजदूत 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोन्ड' और 'द गार्डियन' को पत्र लिखेंगे जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर यानी अप्रैल के दौरान भारतीय राजदूत ने आस्ट्रेलिया के एक अखबार को लिखा था? तब भारतीय राजदूत ने 'द ऑस्ट्रेलियन' के संपादक को एक पत्र लिखकर कहा था कि आपके अखबार ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की छवि को खराब तरीके से पेश किया है. आपने जिस आलेख को छापा, उसमें बताए गए तथ्य भ्रामक और आधारहीन हैं. उस रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर के लिए कुंभ और पीएम मोदी की चुनावी रैली को जिम्मेदार ठहराया गया था.
रवीश ने कहा कि दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने हजारों दस्तावेजों की छानबीन और कई फोन की फॉरेंसिक जांच के बाद ही यह लिखा है कि पेगासस जासूसी हो रही थी. यह मन की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि इस जासूसी में देश की कई महिला पत्रकारों के फोन में भी सेंधमारी कर जासूसी की गई है. संभव है कि उनकी पेशेवर जानकारियों के साथ-साथ उनकी निजी जानकारियों में भी बट्टा लगाया गया होगा. यह जानकर महिला पत्रकार या कोई भी नागरिक सिहर सकता है. फिर भी सवाल है कि जिस विश्वगुरू भारत में जहां नारी की पूजा की जाती है. उस विश्वगुरू भारत की मोदी सरकार को यह चिंता क्यों नहीं है कि महिला पत्रकारों के फोन से निजी जानकारियां ली गई होंगी?
रवीश ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्रीय मंत्री के फोन भी जासूसी की लिस्ट में है. उनके स्टाफ के भी फोन नंबर्स उस लिस्ट में शामिल हैं लेकिन सभी चुप हैं. जिनके नाम हैं वो भी चुप हैं कि सरकार स्थिति तो साफ करे. देश के नए आईटी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उनकी पत्नी के फोन नंबर्स भी 2017 से 2019 के बीच संभावित जासूसी की लिस्ट में हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि किसके कहने पर उनके नंबर डाले गए होंगे?
इतना ही नहीं बीजेपी के पुराने नेता और मोदी सरकार में मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और उनकी पत्नी के भी फोन की जासूसी हो रही थी. पटेल के माली, रसोइए समेत कुल 15 स्टाफ के फोन की भी जासूसी हो रही थी. वरिष्ठ पत्रकार ने पूछा है कि अगर मंत्रियों और उनके स्टाफ के फोन की भी जासूसी हो रही थी, तब सरकार सिर्फ खंडन से काम क्यों चला रही? क्यों नहीं उनके फोन की फॉरेंसिक लैब से जांच करवा रही?
रवीश ने पूछा कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव का फोन भी निशाने पर क्यों था? केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के ओएसडी संजय कचरू के फोन की निगरानी क्यों हो रही थी? विश्व हिन्दू परिशद के नेता रहे प्रवीण तोगड़िया के भी फोन की जासूसी क्यों और कौन करवा रहा होगा?
'द वायर' की ताजा रिपोर्ट के हवाले से वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार गिरने से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी, उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के भी फोन नंबर्स को हैकिंग के लिए टारगेट किया गया था. यहां तक कि पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के सुरक्षाकर्मी का भी फोन नंबर इस लिस्ट में पाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार गिराने और सरकार बनाने के लिए भी इस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ हो सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
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