मेघालय में 17 में से 12 विधायकों को खोने के बाद भी कांग्रेस बेफिक्र दिख रही है. मेघालय की चिंताओं से दूर गुरुवार को कांग्रेस ने दिल्ली में भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकता बनाए रखने की प्रतिज्ञा के साथ एक रणनीति बैठक की. बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, "सोनिया गांधी के नेतृत्व में हमने आगामी संसद सत्र पर चर्चा की. हमें संसद में बहुत सारे मुद्दे उठाने हैं. 29 तारीख को हम एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और किसानों का मुद्दा उठाएंगे."
उन्होंने कहा, "हम महंगाई, पेट्रोल-डीजल की कीमत और चीन द्वारा की जा रही घुसपैठ पर आवाज उठाएंगे. हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं. हम तृणमूल और अन्य दलों के साथ समन्वय स्थापित करेंगे." खड़गे ने कहा, "हम विपक्षी एकता चाहते हैं."
सूत्रों ने बताया कि मेघालय के विधायकों ने बुधवार रात करीब 10 बजे विधानसभा अध्यक्ष मेतबाह लिंगदोह को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्हें अपनी स्थिति में बदलाव की जानकारी दी गई.
इस सियासी उलटफेर के बाद तृणमूल कांग्रेस राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बन गई है. इस एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद और अशोक तंवर के साथ-साथ जनता दल (यूनाइटेड) के पवन वर्मा भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
बता दें कि मेघालय में अपनी स्थिति मजबूत कर चुकी तृणमूल कांग्रेस अपना दायरा बढ़ाने में लगी हुई है. इससे पहले टीएमसी ने असम, गोवा, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में अपनी पैठ बढ़ाई है. ममता बनर्जी आज दिल्ली में रहते हुए भी सोनिया गांधी से नहीं मिलीं. हालांकि एक बैठक के बारे में चर्चा थी.
इस बारे में पूछने पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख भड़क गई. ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी के साथ कोई समय नहीं मांगा था, क्योंकि "वे पंजाब चुनावों में व्यस्त हैं". फिर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है."
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