प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत-इजराइल संबंधों के 30 साल पूरे होने का जश्न मनाया, तो वहीं दूसरी ओर द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक नए खोजी रिपोर्ट ने इजराइली सुरक्षा फर्म एसओ द्वारा तैयार किए गए स्पाईवेयर पेगासस को लेकर विवाद को एक बार फिर हवा दे दी है और विपक्ष एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर ‘देशद्रोह करने’ और संसद एवं उच्चतम न्यायालय के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और कहा कि वह आगामी बजट सत्र के दौरान संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही तय करने की मांग करेगी क्योंकि ‘‘वह खुद इस स्पाईवेयर की खरीद के एवं इसके गैरकानूनी उपयोग के लिए जिम्मेदार हैं.’’
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
1. भारत और इज़राइल के बीच राजनयिक संबंधों की 30वीं वर्षगांठ पर बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि उनके बीच सहयोग ने दोनों देशों की विकास गाथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
2. सार्वजनिक, सैन्य और नागरिक अधिकारियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, न्यायाधीशों और पत्रकारों के खिलाफ अवैध निगरानी के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने को लेकर पेगासस एक बड़े विवाद के केंद्र में रहा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली 2017 में 2 बिलियन डॉलर के सौदे का "केंद्र बिंदु" थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल का दौरा किया. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इजराइली दौरा था.
3. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार पर हमले का नेतृत्व करते हुए ट्वीट किया, "मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस को खरीदा. सरकारी पदाधिकारियों, विपक्षी नेताओं, सशस्त्र बलों, न्यायपालिका सभी को फोन टैपिंग द्वारा निशाना बनाया गया. यह देशद्रोह है. मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है."
4. केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने न्यूयॉर्क टाइम्स पर निशाना साधा. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "क्या आप एनवाईटी पर भरोसा कर सकते हैं? उन्हें "सुपारी मीडिया" के नाम से जाना जाता है.
5. कांग्रेस का ताजा हमला इस बात पर केंद्रित है कि रक्षा मंत्रालय ने संसद में क्या कहा, कि उसने इजरायल की फर्म एनएसओ के साथ कोई लेनदेन नहीं किया है. एनएसओ समूह के दबाव में - जिसने कहा कि वह केवल सरकारों और सरकारी एजेंसियों के साथ व्यापार करता है - सरकार ने संसद को बताया था कि कोई भी अवैध काम नहीं किया गया है. हालांकि, सरकार ने हलफनामे या संसद में कभी नहीं कहा कि उसने पेगासस को नहीं खरीदा है.
6. इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक तकनीकी समिति ने उन लोगों से जानकारी मांगी, जिन्हें संदेह है कि उनके फोन को निशाना बनाया गया था. केंद्र द्वारा दिए गए लगभग हर तर्क को खारिज करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गोपनीयता पत्रकारों या सामाजिक कार्यकर्ताओं की नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक की एकमात्र चिंता है.
7. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक अनाम सूत्र के हवाले से बताया कि पेगासस मामले की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के तहत एक समिति कर रही है और इसकी रिपोर्ट का इंतजार है. सूत्र ने कहा, "मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय के पास है. अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्रन की देखरेख में एक समिति का गठन किया है. समिति की रिपोर्ट का इंतजार है."
8. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस खबर से वह बात साबित हो गई जो कांग्रेस कहती आ रही थी. मोदी सरकार ने गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से अपने नागरिकों के खिलाफ इस स्पाईवेयर का उपयोग किया है. इसके लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं. यह प्रजातंत्र का अपहरण और देशद्रोह है.'' उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘पेगासस स्पाईवेयर को जनता के पैसे से और प्रधानमंत्री की मंजूरी से खरीदा गया. इस सरकार ने संसद, जनता और सुप्रीम कोर्ट को धोखा दिया है.''
9. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पेगासस स्पाइवेयर मोबाइल फोन को हैक कर सकता है, माइक्रोफोन और कैमरों को सक्रिय कर सकता है और तस्वीरें ले सकता है. सुरजेवाला ने कहा, "एसएमएस से लेकर फैमिली फोटो से लेकर व्हाट्सएप चैट तक का डेटा अवैध तरीके से चुराया जाता है और मोदी जी की एजेंसियों को भेजा जाता है. इन सभी का इस्तेमाल आपके खिलाफ किया जा सकता है."
10. उन्होंने आरोप लगाया कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल राहुल गांधी और उनके पांच कर्मचारियों, एचडी देवेगौड़ा, सिद्धारमैया, एचडी कुमारस्वामी, वसुंधरा राजे, प्रवीण तोगड़िया, स्मृति ईरानी के विशेष कर्तव्य अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, आलोक वर्मा, केके शर्मा, जितेंद्र कुमार ओझा, वकीलों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ किया गया था.
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