इस प्रोजेक्ट के पहले, इस साल देश के 75वें स्वाधीनता समारोह तक पूरे होने की उम्मीद थी हालांकि बाद में डेडलाइन अक्टूबर माह रखी गई है.
सरकार के महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के प्रमुख आकर्षण नए संसद भवन की बिल्डिंग पर 282 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च होंगे. सूत्रों ने यह जानकारी दी. इस प्रोजेक्ट के भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद एक साल से अधिक की अवधि में प्रोजेक्ट की लागत 977 करोड़ रुपये में करीब 29 फीसदी का इजाफा हुआ है. प्रोजेक्ट का भूमिपूजन दिसंबर 2020 में हुआ था. परियोजना की जिम्मेदारी संभाल रहा टाटा प्रोजेक्ट्स करीब 40 फीसदी काम खत्म कर चुका है. सूत्रों ने बताया कि हालांकि निर्माण कार्य पूरे होने के शेडयूल में कोई बदलाव नहीं हुआ है. प्रस्तावित चार मंजिला इमारत करीब 13 एकड़ के क्षेत्र में फैली होगी.राष्ट्रपति भवन के बेहद नजदीक इस प्रोजेक्ट के पहले, इस साल देश के 75वें स्वाधीनता समारोह तक पूरे होने की उम्मीद थी हालांकि बाद में डेडलाइन अक्टूबर माह रखी गई है.
अन्य परियोजनाओं की तरह कोविड के कारण इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी देने के बाद कि यह निर्माण राष्ट्रीय महत्व का है, यह प्रतिबंध हटाया गया था. गौरतलब है कि मौजूदा ब्रिटिश युग की बिल्डिंग में आधुनिक सूचना-तकनीक सुविधाओं की कमी और सांसदों के कायालयों के चलते नए संसद भवन का निर्माण जरूरी हो गया था.
कई सांसदों ने बताया है कि 1927 में तैयार हुई इस बिल्डिंग में अब दरारें आ गई हैं. लोकसभा और राज्यसभा में सीटों की व्यवस्था के लिहाज से भी यह अपनी पूरी क्षमता पर पहुंच गया है. सांसदों ने यह भी कहा था कि यह बिल्डिंग ने तो भूकंपरोधी है और न ही इसमें अग्नि सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं. नई बिल्डिंग के लोकसभा चैंबर में के 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है जिसे ज्वाइंट सेशन के दौरान 1224 सदस्यों तक बढ़ाया जा सकता है. राज्यसभा चैंबर में भविष्य की विस्तारित जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी.
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