आशीष मिश्रा की जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में हुई थी रिहाई


उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों को गाड़ी से कुचलने के मामले में मुख्य आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की जमानत को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है. शीर्ष न्यायालय से आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है. करीब 4 महीने तक जेल में बंद रहे आशीष मिश्रा को हाल ही में जमानत पर रिहा किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील शिव कुमार त्रिपाठी और CS पांडा ने अर्जी दाखिल की है. अर्जी में कहा गया है कि बेखौफ घूम रहे आरोपियों से सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका है. गवाहों, किसानों और पीड़ित परिवारों को खतरा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश अनुमान के आधार पर है. SIT को सुप्रीम कोर्ट में तुरंत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा जाए. यूपी सरकार/ केंद्र को पीड़ितों को तुरंत मुआवजा देने के निर्देश दिए जाएं. 

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आ गया है. किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को 5 दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई थी. इस मामले में उत्तर प्रदेश की एसआईटी ने 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. 

आशीष मिश्रा की जमानत के आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि FIR में आशीष मिश्रा को फायरिंग करने वाला बताया गया, लेकिन किसी को भी गोली की चोट नहीं लगी.

कोर्ट ने कहा, "मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को पूरी तरह से देखते हुए, यह स्पष्ट है कि FIR के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए आशीष मिश्रा ने फायरिंग की, लेकिन जांच के दौरान, किसी भी मृतक या किसी घायल व्यक्ति के शरीर पर पर गोली की चोट नहीं मिली थी. इसके बाद, अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आशीष ने प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए वाहन के चालक को उकसाया. हालांकि, वाहन में सवार दो अन्य लोगों के साथ चालक को प्रदर्शनकारियों ने मार डाला. यह भी स्पष्ट है कि जांच के दौरान आशीष को नोटिस जारी किया गया और वह जांच अधिकारी के सामने पेश हुआ. यह भी स्पष्ट है कि चार्जशीट पहले ही दाखिल की जा चुकी है."

ऐसी परिस्थितियों में, इस न्यायालय का विचार है कि आवेदक जमानत पर रिहा होने का हकदार है. निजी मुचलके और संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए समान राशि के दो विश्वसनीय जमानतदारों के साथ शर्तों पर रिहा किया जाए.

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