कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं को जिन पांच राज्यों में मतदान हुआ है, उनसे से चार राज्यों पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर भेजा गया है.
यूपी में सातवें राउंड की वोटिंग के साथ ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग सोमवार को खत्म हो गई. 10 मार्च को आने वाले चुनाव नतीजों के पहले, कांग्रेस ने 'दलबदल' को रोकने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके चलते पार्टी को अतीत में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं को जिन पांच राज्यों में मतदान हुआ है, उनसे से चार राज्यों पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर भेजा गया है. सूत्रों ने सोमवार को बताया कि ये नेता त्रिशंकु विधानसभा की स्थित में गठजोड़ और गठबंधन की सिथति में निर्णय लेंगे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इन पूर्व कदमों (pre-emptive moves) पर चर्चा के लिए रणनीतिक बैठकें की हैं.
दरअसल, पार्टी गोवा की वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की चूक को दोहराना नहीं चाहती है जब सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद भी कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने में नाकाम रही थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गोवा की 40 में से 17 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन 13 सीटें जीतने के बावजूद छोटी पार्टियों और निर्दलीयों की मदद से कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी. दो साल बाद नेता प्रतिपक्ष बाबू केवलेकर की अगुवाई में कांग्रेस के 15 विधायक बीजेपी में चले गए थे, जिन्हें बीजेपी की ओर से उप मुख्यमंत्री बनाया गया था. कुछ सप्ताह पहले कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों को राहुल गांधी की मौजूदगी में निष्ठा की शपथ दिलाई थी. हालांकि पार्टी इस तथ्य से भली भांति अवगत है कि सत्ता की रेस शुरू होने की स्थिति में यह 'प्रतीकात्मक कदम' भी विधायकों को बनाए रखने के लिहाज से पर्याप्त साबित होने वाला.
गोवा के अलावा कांग्रेस ने पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर में भी 'मिशन एमएलए' प्लान को एक्टीवेट किया है. पार्टी को इन राज्यों में से कम से कम दो राज्यों में जीत की उम्मीद है हालांकि सभी चार राज्यों में त्रिशंकु जनादेश को भी संभावना के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी, राजस्थान के अपने विधायकों को भी 'अलग' करने की योजना बना रही है. कांग्रेस शासित यह राज्य 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स' को भलीभांति वाफिक है और कुछ समय पहले 'सियासी हलचल' का केंद्र रहा था.
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