देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाली कार का सफल ट्रायल हुआ, 65km प्रति घंटा टॉप स्पीड और 250km तक है इसकी रेंज


देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल (HFC) वाली कार का सफल ट्रायल किया गया है। इस कार को पुणे बेस्ड मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन (MNC) काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (CSIR) एंड KPIT ने डेवलप किया है। व्हीकल फ्यूल सेल कम तापमान वाली प्रोटोन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (PEM) प्रकार की फ्यूल सेल है जो 65-75 डिग्री सेंटीग्रेड पर ऑपरेट करती है। ये व्हीकल चलाने के लिए सूटेबल है।

इस तकनीक से बस, ट्रक को फायदा

सीएसआईआर और केपीआईटी ने 10 kWe ऑटोमोटिव ग्रेड की एलटी-पीईएमएफसी को सफल तरीके से बनाया गया है। इस ट्रायल को बैटरी-इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार प्लेटफॉर्म पर किया गया है जिस पर फ्यूल सेल स्टैक जोड़ा गया है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि यह तकनीक कमर्शियल वाहन जैसे बस, ट्रक के लिए अधिक सूटेबल है।

बैटरी इलेक्ट्रिक बस/ट्रक में जरुरी ऑपरेटिंग रेंज प्राप्त करने के लिए बड़ी बैटरी की जरूरत होती है। जबकि इसकी तुलना में एचएफसी तकनीक में अधिक ऑपरेटिंग रेंज के लिए छोटी बैटरी की जरूरत पड़ती है। इसलिए एचएफसी तकनीक सीवी सेगमेंट अधिक प्रोमिसिंग लगती है। इस फ्यूल सेल वाहन में टाइप 3 कमर्शियल हाइड्रोजन टैंक दिया गया है।

250km तक की रेंज

इसकी क्षमता 350 बार प्रेशर पर करीब 1.75 किलोग्राम H2 स्टोर करने की है, यह कार भारतीय सड़क पर 60-65 किमी/घंटा की गति से 250 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। यह पूरी फ्यूल सेल स्टैक और पावर ट्रेन के जुड़े इक्युपमेंट को पारंपरिक तरीके से 5 सीटर सेडान में जोड़ा गया है।

प्रदूषण कम करने में करेगी मदद

केपीआईटी, चेयरमैन, रवि पंडित ने बताया कि इस तकनीक का बहुत बेहतर भविष्य है और अपने तरीके से डेवलप किए जाने की वजह से यह कमर्शियल तरीके से अच्छी होने वाली है। यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण तकनीक होने वाली है जो प्रदूषण कम करने वाली है और फॉसिल फ्यूल के इम्पोर्ट को कम करेगी।

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