2 मीटर की तुलना में 1 मीटर की दूरी पर कोरोना संक्रमण का रिस्क 10 गुना ज्यादा, कम वेंटिलेशन वाली जगहों पर सिर्फ डिस्टेंसिंग से काम नहीं चलेगा

 

कोरोनावायरस से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है। पर क्या आपको पता है कि कितनी दूरी वायरस से बचने के लिए जरूरी है। इसे लेकर पहले दिन से ही वैज्ञानिकों के मत अलग-अलग रहे हैं। अब एक्सपर्ट्स सोशल डिस्टेंसिंग के लिए नया फॉर्मूला दे रहे हैं। उनका कहना है कि 2 मीटर की दूरी 1 मीटर से 10 गुना तक ज्यादा सुरक्षित है। इसके अलावा छोटी और कम वेंटिलेशन वाली जगहों पर सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग ही काफी नहीं है।

सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर हेल्थ एजेंसियां क्या कहती हैं?

  • WHO द्वारा गठित एक आयोग ने कोरोना के ट्रांसमिशन में फिजिकल डिस्टेंसिंग को लेकर अध्ययन किया। इसमें पता चला कि 1 मीटर से कम की फिजिकल डिस्टेंसिंग में ट्रांसमिशन का रिस्क 12.8% है, जबकि एक मीटर तक में 2.6% है।
  • ब्रिटेन के साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप के एक अध्ययन के मुताबिक, 2 मीटर की दूरी की तुलना में 1 मीटर की दूरी पर ट्रांसमिशन का रिस्क में 2 से 10 गुना ज्यादा रहता है।
  • एक्सपर्ट्स WHO की आलोचना करते हुए कहते हैं कि उसे आयोग ने पुरानी स्टडी के तथ्यों को ही अपने निष्कर्ष के तौर पर दुनिया के सामने रख दिया। लगभग यही नियम सार्स और मार्स वायरस के दौरान भी इस्तेमाल किया गया था।

सिर्फ डिस्टेंसिंग से ही काम नहीं चलेगा

  • छोटी और कम वेंटिलेशन वाली जगहों पर हवा के बाहर न पाने की वजह से ब्रीदिंग ड्रॉपलेट्स के ट्रांसमिशन का रिस्क ज्यादा रहता है। ऐसी जगहों पर डिस्टेंसिंग के साथ-साथ मास्क लगाना बेहद जरूरी होता है।
  • खुली और बड़ी जगहों पर कम से कम एक मीटर की दूरी बनानी ही चाहिए। हालांकि, दो मीटर की दूरी ज्यादा सेफ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दो मीटर की दूरी में ट्रांसमिशन होने की संभावना सिर्फ 1% है।

For More Visit

Previous Post Next Post