किसानों का सिंघु बॉर्डर पर डटे रहने का फैसला, रोज 11 बजे तय करेंगे आगे की रणनीति Latest Hindi News 29 November 2020

 


खेती से जुड़े कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद उनका विरोध जारी है। किसानों ने फैसला लिया है कि वे सिंघु बॉर्डर पर ही अपना विरोध जारी रखेंगे और कहीं नहीं जाएंगे। यह भी तय किया गया कि रोज सुबह 11 बजे आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

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किसान आंदोलन को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर सिक्योरिटी फोर्स तैनात है।

किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स तैनात है। शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने हाईवे पर तंबू गाड़ना शुरू कर दिया। साथ ही पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का आना भी जारी रहा।

यूपी के डिप्टी सीएम बोले- किसानों का प्रदर्शन कांग्रेस की साजिश

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को किसानों से अपना विरोध वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कांग्रेस की रची साजिश के अलावा कुछ नहीं है।
एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं देश और उत्तर प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस आपकी भावनाओं के साथ खेल रही है।

बातचीत के प्रस्ताव पर आज फैसला लेंगे

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने अपील की थी कि किसान दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें। इस पर किसानों ने कहा कि सरकार को खुले दिल के साथ आगे आना चाहिए, न कि शर्तों के साथ।

भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने कहा कि हम रविवार सुबह मीटिंग के बाद इस प्रस्ताव पर कोई फैसला करेंगे। अमित शाह ने शर्त रखकर जल्द बैठक करने की अपील की है। यह अच्छा नहीं है। उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है। फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे।

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हाईवे पर बसा मिनी पंजाब

किसानों के मार्च में शामिल महिलाओं ने खाना बनाने की जिम्मेदारी ली है।

किसान आंदोलन के कारण हाईवे का नजारा मिनी पंजाब जैसा हो गया है। ट्रॉलियों को ही किसानों ने घर बना लिया है। यहीं खाना बन रहा है तो यहीं नहाने और कपड़े धोने का इंतजाम है। जगह-जगह लंगर लगे हैं। धरने वाले धरने पर बैठे हैं। खाना बनाने वाले खाना बना रहे हैं। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।

आंदोलन करने वाले किसानों के लिए खाने का इंतजाम किया जा रहा है।
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किसानों ने ट्रैक्टर-ट्राली को ही अपना घर बना लिया है।


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