3500 से ज्यादा गांवों में सिर्फ 10% पुरुष, बाकी आंदोलन में गए; खेती से कारोबार तक संभाल रहीं https://ift.tt/2IOrlpq

पंजाब के 12,797 गांवों के ज्यादातर पुरुष किसान आंदोलन का हिस्सा हैं। 3500 से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जहां अभी 10% पुरुष मौजूद हैं। ऐसे में महिलाएं घर से खेती तक, सारे काम संभाल रही हैं। पटियाला के गांव दौण कलां की दलजीत कौर के पति फौज में हैं। घर की ढाई एकड़ खेती ससुर जसवंत संभाल रहे थे। लेकिन, वे अब आंदोलन में दिल्ली गए हैं। घर की जिम्मेदारी दलजीत पर है। वह रोज खेत जाती हैं, फसल को पानी देना, खाद डालना और पशुओं के चारे का इंतजाम करना, उनका काम है।

दलजीत कहती हैं कि पति देश सेवा में हैं और ससुर अपनी जमीन बचाने के लिए दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे हैं। ये कानून हमें फिर बड़े घरानों का गुलाम बना देंगे, खेती हमारी ताकत है हम इसे किसी भी हालत में खोने नहीं देंगे। कई गांवों में पुरुषों की गैर-मौजूदगी में महिलाओं ने न सिर्फ खेती संभाली है, बल्कि सड़कों पर, टोल प्लाजा पर धरनों का क्रम भी नहीं टूटने दे रही हैं। घर-खेत का काम निपटाने के बाद वे करीब 150 धरनों पर पहुंच रही हैं।

धरना भी दे रहीं महिलाएं
दौण कलां के अलावा धरेड़ी जट्टा, चमारहेडी, आलमपुर, बोहड़पुर जन्हेडी समेत आसपास के कई गांवों में महिलाओं ने ना सिर्फ खेती संभाली है, बल्कि धरनों का क्रम भी नहीं टूटने दे रही हैं। घर और खेतों का काम पूरा करने के बाद खुद ट्रैक्टर चलाकर 150 धरनों पर पहुंच रही हैं।

दौण कलां की पंचायत मेंबर हरजीत कौर ने बताया कि पिछले करीबन 2 हफ्तों से ठंड में सड़कों पर बैठकर धरना दे रहे जो पुरुष थक गए हैं, उन्हें आराम देने के लिए घर भेजा जाएगा और वे पुरुषों की जगह दिल्ली में मोर्चा संभालेंगी। इसी तरह प्रदेश के अन्य जिलों से भी महिलाएं दिल्ली जा रही हैं।

खाद डालना हो या दवा का छिड़काव, सब महिलाएं संभाल रहीं
संगरूर के गांव सेखूवास की मनजीत कौर का कहना है कि परिवार से 3 पुरुष दिल्ली गए हैं। घर में मैं, सास और बच्चे हैं। सुबह सास और बेटे के साथ खेत आ जाती हैं। यहां खाद, दवा छिड़क रही हैं। वह अकसर फोन पर पति को कहते है कि कोई टेंशन नहीं है। दिल्ली मोर्चे पर फतह करके ही लौटना।

कभी शौक के लिए ट्रैक्टर चलाया था, आज जरूरत बन गया
55 साल की हरजीत कौर नेे पति अवतार और बेटे को आंदोलन में हिस्सा लेने दिल्ली भेज दिया। 10 एकड़ की खेती को नुकसान ना हो, इसलिए खुद ट्रैक्टर का स्टेयरिंग संभाल लिया। कहती हैं कि ट्रैक्टर का शौक पहले से था, लेकिन अब जरूरत बन गया है। पति और बेटे को कहा है- जीत कर आना।

राज्य के 150 से ज्यादा धरने महिलाओं के हवाले

पंजाब के कई इलाकों में महिलाएं धरने पर हैं।

मोगा, संगरूर, मानसा, होशियापुर, फजिल्का, पटियाला समेत प्रदेश के 22 जिलों में टोल प्लाजा और अन्य 150 से ज्यादा पक्के धरने चल रहे हैं। ज्यादातर महिलाएं घर और खेतों के काम के बाद धरने पर जाती हैं, ताकि चेन न टूटे। वे घरों से राशन और सूखी मिठाई बनाकर लाती हैं। ये सामान दिल्ली भेजा जाता है।



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खेतों में बेटे के साथ काम करतीं पटियाला की दलजीत कौर। कहती हैं कि ये कानून हमें फिर बड़े घरानों का गुलाम बना देंगे, खेती हमारी ताकत है हम इसे किसी भी हालत में खोने नहीं देंगे।


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