गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र के ढांचे का विकास करना चाहिए कि महामारी की तीसरी या चौथी लहर तक आ सकती है क्योंकि लोग मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और स्वच्छता जैसे नियमों का पालन नहीं करने जा रहे. अदालत ने पाया कि भारत में चीन जैसा अनुशासन लागू नहीं हो सकता.
न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति भार्गव डी करिया की खंडपीठ ने गुजरात सरकार से कहा कि महामारी की किसी भी नयी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे में सुधार करना होगा. गुजरात में कोविड-19 हालात और इससे संबंधित अन्य मुद्दों पर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लंबी अवधि के लिए बेहतर करने की आवश्यकता है, ना कि केवल महामारी की दूसरी लहर से निपटने के लिए.
पीठ ने कहा, ''महामारी की तीसरी और चौथी के बारे में क्या करें? तीसरी लहर के बाद चौथी लहर आएगी क्योंकि राज्य के लोग मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करने जा रहे. इस देश में कोई ऐसा नहीं करने वाला, इसलिए हर छह महीने में एक नयी लहर आएगी.'' सुनवाई के दौरान अदालत ने महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा, ''इस समझ के साथ आपको खुद को तैयार करना होगा.'' जब त्रिवेदी ने महामारी के मद्देनजर भारत की तुलना यूरोपीय देशों से की तो अदालत ने कहा, भारत की तूलना केवल एक देश चीन से की जा सकती है जोकि ''बेमिसाल'' है.
उन्होंने कहा, ''आपको केवल चीन से तुलना करनी होगी. यह बेमिसाल है. वहां जैसा अनुशासन, यहां लागू नहीं किया जा सकता इसलिए स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर करिए.'' इस पर, त्रिवेदी ने कहा, ''किसी ने सही कहा है कि हमने लोकतंत्र की कीमत चुकायी है.'' सरकारी वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार कोविड बचाव संबंधी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास कर रही है.
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