वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने अपने शो 'Prime Time With Ravish Kumar'के ताजा एपिसोड (13 जुलाई, 2021) में जनसंख्या नियंत्रण के सरकारी प्रयासों पर बड़ा सवाल उठाया है और पूछा है कि सरकार पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दामों, बेरोजगारी, भुखमरी जैसे मुद्दों पर बात करना छोड़कर क्यों जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे पर बात करने लगी है. उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो देश-विदेश में यह कहते नहीं थक रहे थे कि भारत की सवा सौ करोड़ आबादी ही उसकी पूंजी है और पूरी दुनिया के लिए वह मैग्नेट है, तो आखिर उस पर उनके ही मंत्रियों और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का नजरिया कैसे बदल गया?
उन्होंने अपने शो की शुरुआत में ही कहा, "पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों के कारण लोग भोजन और दवा पर कम ख़र्च करने लगे हैं. भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शाखा के एक अध्ययन के मुताबिक लोगों के कुल ख़र्चे में पेट्रोल पर होने वाला ख़र्च काफी बढ़ गया है और महीने का राशन भी कम ख़रीद रहे हैं. महंगाई के इस मुश्किल दौर को ठीक से दर्ज नहीं किया जा रहा है. आख़िर सरकार इस पर बात क्यों नहीं कर रही है?" उन्होंने कहा, "देश को सुशांत सिंह राजपूत जैसे फर्ज़ी मुद्दे की तलाश है जिसे लेकर तीन महीने तक बहस होती रहे, जब तक ऐसा मुद्दा नहीं आ जाता, तब तक मंत्रिमंडल विस्तार तो कभी आबादी नियंत्रण से काम चलाया जा रहा है."
रवीश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर महीने के अंतिम रविवार को की जाने वाली 'मन की बात' कार्यक्रम के लिए लोगों से सुझाव मांगने का भी जिक्र किया और पूछा कि जब लोग खुलकर महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर बात करने को कह रहे हैं तो पीएम उस पर चुप क्यों हैं? उन्होंने पूछा कि इतने मुद्दे होने के बाद भी पीएम लोगों से बात करने के लिए मुद्दे की मांग क्यों कर रहे हैं?
उन्होंने पूछा कि पीएम ने अबतक पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बात क्यों नहीं की? उन्होंने पूछा कि बढ़ते तेल के दामों पर नए पेट्रोलियम मंत्री ने कोई ट्वीट क्यों नहीं किया, जो अक्सर हर बात पर ट्वीट किया करते हैं. रवीश ने बताया कि बढ़ते पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस की कीमतों की वजह से जीडीपी में घरेलू बचत का हिस्सा घटता जा रहा है. उन्होंने कहा, 'भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार दिसंबर के तिमाही में घरेलू बचत जीडीपी का 8.2 फीसदी हो गया था. उसके पहले के तिमाही में यह क्रमश: 21 फीसदी और 10 फीसदी हो गई थी.'
रवीश ने प्रधानमंत्री के कई भाषणों का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम की नजर में देश की बड़ी आबादी कोई समस्या नहीं बल्कि एक विशाल संभावना है. उन्होंने 28 सितंबर, 2014 को न्यूयॉर्क के मेडिसिन स्क्वायर पर दिए पीएम मोदी के भाषण का जिक्र किया जिसमें प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि देश की 65 फीसदी युवा आबादी ही देश की दूसरी ताकत है. पीएम ने इसे 'डेमोग्राफी डिविडेंड' कहा था. उन्होंने कहा था कि सवा सौ करोड़ की आबादी वाला देश पूरी दुनिया के लिए बाजार है. पीएम ने यह भी कहा था कि इसी शक्ति के भरोसे भारत नई उंचाइयों को छूएगा.
रवीश ने कहा कि पीएम ने एक नहीं कई मौकों पर कहा कि देश की आबादी ही इसकी ताकत है लेकिन युवाओं को नौकरी देने के मुद्दे पर सरकार चुप्पी साध लेती है. उन्होंने बताया कि 2014 से लेकर 2018 तक पीएम अक्सर आबादी को संसाधन बताते रहे लेकिन 15 अगस्त 2019 को पहली बार उन्होंने लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या विस्फोट पर बात की और लोगों से कहा कि उन खुशहाल परिवारों को देखें जिनका आकार छोटा है.
रवीश कुमार ने बताया कि 2019 में आखिर पीएम के स्टैंड में अचानक बदलाव क्यों आया? उन्होंने बताया कि 2018 में कई छात्र संगठन नौकरी की मांग और भर्ती में हो रही देरी के खिलाफ सड़कों पर उतरे. मार्च 2019 में SSC परीक्षा में हो रही धांधली के खिलाफ दिल्ली में नौजवानों ने लंबा आंदोलन चलाया था, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. पीएम से तब पूछा जाने लगा था कि 2 करोड़ नौकरी के वादे का क्या हुआ? तभी एक खबर आई कि देश में बेरोजगारी की दर 45 सालों में सबसे अधिक थी.
रवीश ने पूछा कि पीएम मोदी को मार्गदर्शक मानने वाले उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पीएम के विचारों से उलट बड़ी आबादी बोझ क्यों लग रहा है? उन्होंने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने वाले सांसद रविकिशन से भी महंगाई, बेरोजगारी पर तीखे सवाल पूछे हैं. उन्होंने यह भी पूछा कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव लड़ने से मनाही है तो सांसदों, विधायकों के चुनाव लड़ने पर मनाही क्यों नहीं? उन्होंने यह भी पूछा कि जिन बेरोजगारों के दो ही बच्चे हैं या एक भी बच्चे नहीं हैं, क्या सरकार उन्हें तुरंत नौकरी देगी?
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