(जाेगेंद्र शर्मा). साल 2020 जैसा दौर न तो पिछले कई दशकों में किसी ने देखा और न ही कोई देखना चाहता है। कोरोना काल में राज्य में अचानक सुसाइड के केस में भी काफी तेजी आई। इसके पीछे चिंता को सबसे बड़ा कारण माना गया। इसको लेकर हिमाचल प्रदेश मेंटल हेल्थ अथॉरिटी ने शिमला, चंबा और मंडी में लोगों की सोच को लेकर एक सर्वे करवाया।
सर्वे में 5188 लोगों से बातचीत की गई जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस दौर में उन्होंने आत्मघाती कदम उठाने के बारे में सोचा। तो 8.04 % यानी 417 लोगों ने कहा कि वे खुद को खत्म करने की कोशिश कर चुके हैं।
वहीं 2.42% लोगों ने कहा कि वे भी ऐसा सोचते हैं। सर्वे में लोग सबसे ज्यादा चिंतित परिवार को लेकर दिखे। 42.92% लाेगों ने कहा कि वे अपने परिवार की काफी चिंता करते हैं। इनमें भी 31.78% लोग 26 से लेकर 60 साल तक के हैं। 30.36% गांव में रहने वाले लाेग इस तरह की चिंता कर रहे हैं, जबकि 12.57 फीसदी शहर के लाेग हैं। साेशल मीडिया के संदेशाें से भी लाेग तनाव में हैं।
अपनों से दूर होने के डर ने भी लोगों को चिंता में डाला: पाठक
- सर्वे ने हमें भी चाैंका दिया। लाेग सीधे कह रहे हैं कि हमने सुसाइड की काेशिश की थी। नौकरी जाने से लोग अवसाद में चले गए। कुछ लाेग इमाेशनल एक्सचेंज के चलते भी परेशान हुए हैं। एकदम से लाेग अपनाें से दूर हो गए जिसने उन्हें चिंतित कर दिया। - डाॅ. संजय पाठक, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, एचपी स्टेट मेंटल हेल्थ अथाॅरिटी
ये सवाल पूछे गए
क्या आप दाे हफ्ताें में काेविड से संक्रमित के विचार से ग्रस्त हुए।
23.87 % ने जवाब हां में दिया। 12.63 % पाेस्ट ग्रेजुएट, 7.48% ग्रेजुएट ने हां में जवाब दिया।
क्या आप दुखी और चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं।
17.92 फीसदी लाेगाें ने इसका जवाब हां में दिया।
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